प्रत्येक वर्ष अनेक लोग बाहरी देशों से जर्मनी आते हैं I जर्मनी में 20 प्रतिशत से ज्यादा जनता अन्य सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की है I इनमे से कई बहुभाषीय हैं, वे न केवल अपनी मातृभाषा बोलते हैं बल्कि एक दूसरी भी या कई अन्य भाषाएं भी बोलते हैं I अनेक लोग जो जर्मनी आते हैं, जर्मन भाषा को विदेशी भाषा या दूसरी भाषा के रूप में पढ़ते हैं I यदि आप जहाँ निवास करते हैं वहाँ की भाषा बोलते हैं (आसपास की भाषा) तो आप लोगों से बेहतर बातचीत कर सकते हैं और उनके व्यवहार को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं I
बहुभाषिता के लाभ
आज की दुनिया में अनेक भाषाएँ बोल सकना एक महत्वपूर्ण योग्यता है I देशों के बीच की सीमाएं पहले से ज्यादा खुली हुई हैं और ज्यादा से ज्यादा लोग विदेश जा रहे हैं I यदि व्यक्ति अपनी मातृभाषा के अलावा एक और भाषा में बातचीत कर सकता है, तो उसके लिये बहुत संभावनाएं हैं I निजी जीवन के साथ-साथ व्यावसायिक जीवन में भी I ये लोग विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं I बहुभाषीय लोगों के पास अंतरसांस्कृतिक योग्यता होती है यानी वे दूसरों के व्यवहार को उनके दृष्टिकोण से देख सकते हैं I आप्रवासियों के वे बच्चे, जो जर्मनी में बड़े होते हैं, अपने माता-पिता की भाषा, ज़ाहिर है जन्म से ही सीखते हैं I भाषा की सहायता से वे अपने माता-पिता के देश के रीति-रिवाजों और संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं I जर्मन भाषा वे अधिकतर अन्य बच्चों के संपर्क में आने से और खेलते हुए सीख लेते हैं जैसे कि कीटा या स्कूलI ये बच्चे बहुभाषीय बड़े होते हैं I
जर्मन भाषा का महत्त्व
वयस्कों के लिए यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इस तरह वे जर्मनी के लोगों से बातचीत कर सकते हैं I अपने वातावरण की भाषा बोल सकना एकीकरण(इंटीग्रेशन) के लिए एक बड़ी सहायता है I बच्चे यदि एक जर्मन स्कूल में पढ़ने जाना चाहते हैं तो जर्मन भाषा का ज्ञान उनके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है
इनपुट तथा आउटपुट
भाषा सीखने में इनपुट और आउटपुट बहुत महत्वपूर्ण हैं I इनपुट वह भाषा है, जो व्यक्ति सुनता और पढ़ता है I लोगों को भाषा के साथ लगातार संपर्क की आवश्यकता होती है, सबसे उत्तम स्थिति है वास्तविक परिस्थितियां I इसके अलावा भाषा उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए और मूल निवासी द्वारा बोली गई हो I बच्चों के मामले में चुनी हुई किताबों से पढ़ कर सुनाना इनपुट का एक बहुत अच्छा तरीका होगा Iइनपुट के आलावा आउटपुट भी बहुत महत्वपूर्ण है I आउटपुट वह भाषा है जो व्यक्ति पैदा करता है, यानी लिखता और बोलता है I यह आवश्यक है कि लोग भाषा का उपयोग कर सकें I एक भाषा अच्छी तरह से बोल सकने के लिए यह आवश्यक है कि उसका उपयोग वास्तविक परिस्थितियों में प्रयोग करने के अवसर मिलें I बोलना और लिखना बहुत अच्छे और महत्वपूर्ण अभ्यास के अवसर हैं I
यदि आप अपने बच्चत या नाती-पोतों से जर्मन भाषा में नहीं बात करते बल्कि अपनी मातृभाषा में बात करते हैं तो इसके लिए विभिन्न अवसर मौजूद हैं I
पारिवारिक भाषा का महत्व
बहुत से परिवारों में माता और पिता एक सी भाषा बोलते हैंI आप्रवासियों के मामले में यह जर्मन कभी नहीं होती I घर पर पारिवारिक भाषा बोलना अच्छी बात है ताकि बच्चा पारिवारिक भाषा बोल सके I इस तरह बच्चा मातृभाषा और अपने देश की संस्कृति के साथ करीबी भावनात्मक लगाव स्थापित करता है I
बच्चों और बड़ों की मातृभाषा (पहली भाषा या पारिवारिक भाषा )से सांस्कृतिक जानकारियाँ, परम्पराएं, और नैतिक मूल्य भी मिलते हैं I परिवारों को अपनी मातृभाषा बोलना बंद नहीं कर देना चाहिए, बल्कि घर पर बच्चों और परिवार के साथ उसी का प्रयोग करना चाहिए I बच्चों के लिए यह खासतौर पर महत्वपूर्ण है, अपनी पहली भाषा अच्छी तरह से बोलना I अन्य भाषाओं में अच्छी महारत हासिल करने के लिए पहली भाषा में एक अच्छा भाषाई आधार सबसे बड़ी आवश्यकता है I बड़े शहरों में अक्सर दो भाषाओँ वाले या तीन भाषाओं वाले कीटा होते हैं I
एक व्यक्ति एक भाषा
कुछ परिवारों में माता और पिता एक सी भाषा नहीं बोलते हैंI तब वे एक व्यक्ति एक भाषा का तरीका अपनाते हैं I इसमें माता/पिता बच्चे के साथ अपनी मातृभाषा में बात करते हैं I पारिवारिक भाषा यानी वह भाषा जिसमें माता-पिता दोनों और बच्चा एक दूसरे से बातचीत करते हैं, वह ज्यादातर माता-पिता द्वारा बोली गई भाषाओँ में से एक होती है I कभी-कभी यह एक तीसरी भाषा भी होती है, जिसे माता-पिता दोनों अच्छी तरह बोल सकते हैं I
बहुभाषीय पालन-पोषण में महत्वपूर्ण पहलू
बहुभाषीय पालन-पोषण में महत्वपूर्ण यह है कि माता-पिता का अपनी भाषा से भावनात्मक लगाव होता है I ज़ाहिर है सबसे अच्छा है कि माता या पिता बच्चों से अपनी मातृभाषा (पहली भाषा ) में बात करें I यदि कोई पारिवारिक भाषा है, तो घर पर हमेशा उसी में बातचीत करनी चाहिए I यदि बच्चे को कोई भाषा सीखने में दिलचस्पी नहीं है तो उसे इसके लिए मजबूर नहीं करना चाहिए I काई बार ऐसी स्थितियां आती हैं, पर वे चली भी जाती हैं I माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भाषाओँ को अपने वक्तव्यों में न मिलाएं I अपनी भाषा के लिए सकारात्मक सोच रखने वाले माता-पिता बच्चों के भाषा सीखने में बहुत अच्छे प्रेरक हैं I
बच्चे की पहली भाषा में प्रोत्साहन बहुत महत्वपूर्ण है, पर अपने आस-पास की भाषा का बढ़ावा भी उतना ही महत्वपूर्ण है I
ऐसे बहुत से परामर्श केंद्र हैं जहाँ बहुभाषीय पालन से सम्बंधित सहायता और प्रोत्साहन मिलता है I बहुत से शहरों और कस्बों में एक दफ्तर होता है या अंतरसांस्कृतिक कामों के लिए एक जगह होती है I यहाँ वे लोग काम करते हैं जो भाषा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी और उपयोगी सलाह दे सकते हैं I निजी संस्थानों में भी परामर्श केंद्र होते हैं I इसके अलावा इस बीच में कई केंद्र खुल गए हैं जो बहुभाषिता और सांस्कृतिक विविधता पर काम करते हैं I यदि कोई इन्टरनेट में अंतरसांस्कृतिक परामर्श केंद्र „interkulturelle Beratungsstelle“और बहुभाषीय परामर्श केंद्र „mehrsprachige Beratungsstelle ढूंढता है तो उसे बहुत सारे लिंक और संकेत मिल जायेंगे I
बच्चों में जर्मन भाषा को प्रोत्साहन
कीटा और प्राइमरी स्कूल में जर्मन भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक प्रान्त के पास अपने कार्यक्रम, तरीके और योजनाएं हैं I यदि कोई बच्चा अच्छी जर्मन भाषा नहीं बोल पाता है तो उसे भाषा सहायता कार्यक्रमों द्वारा मदद मिलती है, उदहारण के लिए (फोरकुर्स) प्राक-प्रवेश कोर्स या जर्मन भाषा सहयता कक्षा I यदि बच्चे को जर्मन भाषा सीखने के लिए अधिक सहायता की ज़रुरत है तो कई परामर्श केंद्र है जो आपको सलाह और जानकारियाँ देंगे I
सहायता और मातृभाषा
बच्चों की पहली भाषा को सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि
घर पर भी प्रोत्साहन मिलना चहिए I पारिवारिक भाषा को मजबूत बनाने के लिए माताएं और पिता नियमित रूप से बच्चों को कुछ पढ़ कर सुना सकते हैं, उनके साथ गाने गा सकते हैं और खेल सकते हैं I परिवार के लोगों से वे फोन पर बात कर सकते हैं या स्काइप कर सकते हैं I
यदि आप अपनी जैसी भाषा बोलने वाले और वैसी ही सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आने वाले परिवारों को जानते हैं तो बच्चे साथ-साथ खेल सकते हैं और अपनी मातृभाषा में बात कर सकते हैं I
बहुत से वाणिज्य दूतावास और संस्थाएं स्कूल के बच्चों के लिए उनकी मातृभाषा में सहायता पाठ-क्रम चलाती हैं I इस कक्षा में बच्चे अपनी पहली भाषा में पढ़ना और लिखना सीखते हैं I उन्हें अपनी मातृभूमि के जीवन से सम्बंधित बहुत सी जानकारियाँ और परम्पराओं के बारे में पता लगता है I कई प्रान्तों में इस प्रकार के सहायता पाठ्य-क्रम रेगेलशुले में भी चलाए जाते हैं I इस कक्षा को कहते हैं, मातृभाषा की अतिरिक्त पढ़ाई (MUE) I
इन्टरनेट में विशेष भाषाओं और संस्कृतियों के लिए अनेकों संस्थाएं एवं संगठन हैं उदहारण के लिए बच्चों के लिए खेल-कूद समूह, स्पोर्ट्स क्लब या रेस्टोरेंट में नियमित मेहमानों के लिए नियत मेज़ I केवल बच्चे ही नहीं बल्कि माता-पिता भी इस प्रकार अपनी मातृभाषा को वास्तविक स्थितियों में बोल सकते हैं I
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